The Real Story of Horror, Most Real - Life Ghost Stories From Real People, Real Life Events, These Horror Stories Aren't For The Faint of Heart, Comedy Horror stories & Other Funny Story

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Friday, January 10, 2020

January 10, 2020

उलझे बालों वाली लड़की

उलझे बालों वाली लड़की का रहस्यम कहानी :- The mysterious story of a girl with tangled hair.





वैभव जो 26 साल का है उसकी अभी अभी नयी शादी हुई है और उसकी एक खूबसूरत सी बीवी भी है। ,  ये दोनों हनीमून बनाने हिमाचल गए थे जहाँ उन्होंने 4 दिन गुजारे। अब उनके दिल्ली अपने घर वापस आने का समय हो गया था। दोनों अपनी गाड़ी में बैठ गए और दिल्ली के लिए चल दिए।  रात के 11 बज गए थे अब वो हिमाचल की घाटी को पार करने ही वाले थे। रोड बिलकुल सुनसान थी और गाडी बिलकुल तेज़ी में जा रही थी ।




 अचानक वैभव को अपनी गाड़ी के आगे एक औरत दिखी जिसने लाल रंग की साड़ी पहनी थी। वो दूर से ही हाथ हिला कर गाडी को रोक रही थी।   उसको देख कर वैभव की बीवी ने उसे गाडी रोकने से मना कर दिया क्योंकि उसको डर था की ये कोई लूट पाट करने की चाल हो सकती है।  लेकिन वो औरत गाड़ी के सामने आगई जिससे वैभव को गाडी रोकनी पड़ी। वो औरत ज़ोर ज़ोर से दरवाज़े को पीटने लगी उसके चेहरे के हाव भाव से ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी बड़ी मुसीबत में हो।,   वैभव की बीवी ने उसे गाडी का दरवाज़ खोलने से मना कर दिया उसने कहा कि ये कोई चाल हो सकती है हमें बहार नहीं जाना चाहिए ।  पर वैभव ने बोला की अगर सच में ये किसी मुसीबत में होगी तो और उसे हमारी जरुरत हो क्योंकि उसको देख कर वो अच्छे खासे घर की लग रही थी। ये बोलते ही वैभव ने गाडी का दरवाज़ा खोल दिया और बाहर आ गया।


 वो औरत घबराते हुए बोली ” प्लीज, मेरी मदद करो “। वैभव ने बोला क्या हुआ है।उस औरत ने जवाब दिया की ” मेरी गाड़ी नीचे खाई में गिर कर एक पेड़ से टकरा गई है और उसमें मेरी छोटी सी बच्ची फसी हुई है। प्लीज उसको बाहर निकालो ” ,  ये सुनते ही वैभव की बीवी भी बाहर आगई और तीनों खाई की और भागे। उन्होंने देखा की वो गाडी थोड़ी नीचे एक पेड़ से टकराई हुई है। वैभव झट से नीचे की और गया। उसने देखा की पीछे वाली सीट पर एक बच्ची बैठी है  जो रो रही है। वैभव ने दरवाज़ा खोलना चाहा पर वो नहीं खुला। दरवाज़ा अटका हुआ था। उसने बोहोत कोशिश की तब जा कर वो दरवाज़ा खुला।



वैभव ने उस लड़की को बहार निकाल कर अपनी गोदी में रख लिया।  पर लड़की अभी भी रोए जा रही थी और मम्मी मम्मी कर रहा थी। तभी वैभव की नज़र आगे वाली ड्राइविंग सीट पर गयी जहाँ उसे कोई बैठा हुआ लगा। लेकिन आगे वाली गाडी का शीशा धुंधला था तो साफ़ नज़र नहीं आरहा था।  उसने अपने कपडे से उसे साफ़ किया । और जो वैभव ने देखा उसे देख कर उसकी पैरो तले ज़मीन ही खिसक गई। उसको विश्वास ही नहीं हो रहा था। ,  उसने देखा की आगे वाली सीट पर और कोई नहीं उस बच्ची की माँ थी जो मदद के लिए वैभव को बुला रही थी। उसने देखा की वो औरत के माथे से खून निकल रहा है और उसकी मौत हो चुकी है।


 वैभव की पत्नी ने वैभव की हालत देख कर झट से उसके पास आई और वो भी ये मंजर देख कर हैरान हो गयी ।ये देखते ही वैभव और उसकी पत्नी ने पीछे की और देखा जहाँ वो औरत खड़ी थी पर वहाँ अब कोई नहीं था।

Wednesday, January 8, 2020

January 08, 2020

रहस्यम ताबीज़ वाली कहानी का क्या राज़ है

जब वह कब्रिस्तान के भीतर चली गई फिर उसमे क्या हुआ :- What happened when she went inside the cemetery. 




बहुत संक्षेप में एक कहानी बुर्के वाली दो औरतों की। कहानी की शुरुआत एक औरत से होती है जिसका पति बहुत बीमार था। दवा-दारु चल रही थी। लेकिन उसके पति के स्वास्थ्य में कोई लाभ न हुआ। तो बाबाओं के यहाँ चक्कर लगाना शुरू किया। एकदिन वह एक ऐसे आदमी से मिली जो अपने आप को काले इल्म और रूहानी ताकतों का मालिक बताता था।


उसने औरत से कहा- तु अगर अपनी मदद करने को खुद तैयार है तो मैं तेरी मदद कर सकता हूँ। उसने महिला को तीन रुई की बाती जैसी एक चीज दी और कहा- रात को कब्रिस्तान में जाना इसे जलाना और एक पुकारना कोई ना कोई तेरी मदद को जरूर आएगा।



वो कैसा होगा मैं बता नहीं सकता वो औरत हो या फिर मर्द हो, बहुत सुन्दर हो या बहुत भंयकर हो लेकिन तु डरना नही वो जो पूछे उसका जबाब देना तुझें मदद मिल जाएगी। औरत घर पहुची लेकिन पति को कुछ नहीं बताया। वह फैसला नहीं कर पा रही थी। कही वो जाल में तो नहीं फंस जाएगी, इस जमाने में कौन इस तरह की बात में विश्वास करता है। लेकिन रात होते ही उसने तय कर लिया की पति के लिए वह ये जोखिम भी उठाएगी। रात को वह एक झोले में सारा समान लेकर टार्च के साथ कब्रिस्तान के गेट पर पहुँच गई।



 उसने अपने साथ अपने पति का पुराना रामपुरी चाकू भी रख लिया था क्योंकि उसने तय कर लिया था की स्थिति बदली तो या वो जान ले लेगी या जान दे देगी। गेट पर पहुँचकर उसकी हिम्मत जबाब देने लगी। तब उसे अपने पति का चेहरा याद आया।


वह कब्रिस्तान के भीतर चली गई, निर्धारित जगह पर तीनों बत्तीया जलाई फिर उस ना को पुकारने लगी। कुछ देर बाद
 वहाँ दो बुर्के वाली औरते आई और कहा- क्या चाहिए तुझे????
औरत ने कहा- मेरे पति  ठीक हो जाए
उधर से आवाज आई- तो जान चाहिए तुझे.........
जान के बदले क्या दे सकती है?????
औरत गंभीर हो गई और कठोर शब्दों में कहा-मैं अपनी जान दे सकती हूँ अपने पति की जान के बदले....


बुर्केवाली दोनों औरतों की हसी सुनसान कब्रिस्तान में गूंज उठी
उनमें से एक ने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा- ले ये ताबिज 21 दिनों तक के लिए अपने पति के गले में डाल देना और फिर निकाल देना..
और सुन लड़की हमारा काम लेना नही देना है।



औरतें फिर अंधेरे में गायब हो गई। औरत घर लौट आई ताबिज पति को बांध दिया। अब दवाओं का असर कहिए या ताबिज का कमाल उसका पति एक महीने में ठीक हो गया।


औरत माँ बनी, फिर सास बनी, फिर दादी बनी और अपने पोते-पोतियों के लिए उसकी ये कहानी..... एक जाति के रूप में संरक्षित हो गई। 

Monday, January 6, 2020

January 06, 2020

भटकती रूह भूत - प्रेत की सच्ची कहानी दिलदाहलने वाली सच्ची तस्बीर

भूत - प्रेत की सच्ची कहानी,  दिलदाहलने वाली सच्ची कहानी, यहा   कहानी  ‘रठासी’ नाम का एक ऐतिहासिक गांव की है | Bhoot - The true story of the phantom, the true story of the heart, here is the story of a historical village named 'Rathasi'.




भूत-प्रेत के किस्से सुनने में बेहद रोमांचक और दिलचस्प लगते हैं लेकिन क्या हो जब यह किस्से सिर्फ किस्से ना रहकर एक हकीकत की तरह आपके सामने आएं? आज की युवा पीढ़ी भूत और आत्माओं के होने पर विश्वास नहीं करती लेकिन जिस पर आप विश्वास नहीं करते वह असल में है ही नहीं यह तो संभव नहीं है ना. आज हम ऐसे ही भूतहा स्थान से आपका परिचय करवाने जा रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं एक आत्मा ने किया था.  जोधपुर (राजस्थान) स्थित बावड़ियों के किस्से स्थानीय लोगों में बहुत मशहूर हैं. यहां पानी की कई बावड़ियां हैं जिनमें से एक के बारे में कहा जाता है कि उसे भूत ने बनवाया था |


 जोधपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूरी पर स्थित ‘रठासी’ नाम का एक ऐतिहासिक गांव है. मारवाड़ के इतिहास पर नजर डालें तो यह ज्ञात होता है कि जब जोधपुर में रहने वाले राजपूतों की चम्पावत शाखा का विभाजन हुआ तो उनमें से अलग हुए एक दल ने कापरडा गांव में रहना शुरू किया. लेकिन इस स्थान पर रहने वाले युवा राजपूत राजकुमारों ने गांव में साधना करने वाले साधु-महात्माओं को परेशान करना शुरू कर दिया. उन राजकुमारों से क्रोधित होकर साधुओं ने उन्हें श्राप दे दिया कि उनके आने वाली पीढ़ी इस गांव में नहीं रह पाएगी.  साधुओं के श्राप की बात जब राजकुमारों ने अपने घर में बताई तो सभी भयभीत हो गए और उस गांव को छोड़कर चले गए. इस गांव को छोड़कर वह जिस गांव में रहने के लिए गए उस गांव का का नाम है रठासी गांव. यह जोधपुर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक ऐतिहासिक गांव है |



  इस गांव में एक बावड़ी है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह भूतों के सहयोग से बनी है अर्थात उस बावड़ी को बनाने में भूत-प्रेतों ने गांव वालों की सहायता की थी. ठाकुर जयसिंह के महल में स्थित इस बावड़ी को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. इस बावड़ी के विषय में यह कहानी प्रचलित है कि एक बार जब ठाकुर जयसिंह घोड़े पर सवार होकर जोधपुर से रठासी गांव की ओर जा रहे थे तब रास्ते में ठाकुर साहब का घोड़ा उनके साथ-साथ चलने वाले सेवकों से पीछे छूट गया और इतने में रात हो गई.  राजा का घोड़ा काफी थक चुका था और उसे बहुत प्यास लगी थी. रास्ते में एक तालाब को देखकर ठाकुर जयसिंह अपने घोड़े को पानी पिलाने के लिए ले गए.


आधी रात का समय था घोड़ा जैसे ही आगे बढ़ा राजा को एक आकृति दिखाई दी जिसने धीरे-धीरे इंसानी शरीर धारण कर लिया. राजा उसे देखकर डर गया, उस प्रेत ने राजा को कहा कि मुझे प्यास लगी है लेकिन श्राप के कारण मैं इस कुएं का पानी नहीं पी सकता. राजा ने उस प्रेत को पानी पिलाया और राजा की दयालुता देखकर प्रेत ने उसे कहा कि वह जो भी मांगेगा वह उसे पूरी कर देगा.  राजा ने प्रेत को कहा कि वह उसके महल में एक बावड़ी का निर्माण करे और उसके राज्य को सुंदर बना दे. भूत ने राजा के आदेश को स्वीकारते हुए कहा कि वो ये कार्य प्रत्यक्ष रूप से नहीं करेगा, लेकिन दिनभर में जितना भी काम होगा वह रात के समय 100 गुना और बढ़ जाएगा |


उस प्रेत ने राजा को यह राज किसी को ना बताने के लिए कहा. इस घटना के दो दिन बाद ही महल और बावड़ी की इमारतें बनने लगीं. रात में पत्थर ठोंकने की रहस्यमय आवाजें आने लगीं, दिन-प्रतिदिन निर्माण काम तेज गति से बढ़ने लगा. लेकिन रानी के जिद करने पर राजा ने यह राज रानी को बता दिया कि आखिर निर्माण इतनी जल्दी कैसे पूरा होता जा रहा है. राजा ने जैसे ही यह राज रानी को बताया सारा काम वहीं रुक गया. बावड़ी भी ज्यों की त्यों ही रह गई. इस घटना के बाद किसी ने भी उस बावड़ी को बनाने की कोशिश नहीं की |

Friday, January 3, 2020

January 03, 2020

सात खूनी दरवाजों का खोफनाक रास्ता

यहा एक गांव की घटना है जहां एक घर की एक अनोखी दरवाजा :- Here is a village incident where a unique door of a house.




आज से 50 साल पहले डकैतों का संघगठन हुआ करता था। इस संघगठन मे लगभग 10 लोग हुआ करते थे और ये डकैत गरीबो को लूटा करते थे। उस समय पर डकैत सिर्फ घोड़ो पर ही आया जाया करते थे क्योकि उस समय मे कार और मोटरसाइकिल जैसी सुविधा बहुत ज्यादा कम थी इसलिए डकैतों की सबसे अच्छी सवारी घोड़े हुआ करती थी क्योकि आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे और आपने फिल्मों मे भी ऐसा होता हुआ देखा होगा। उस पर पुलिस भी इतनी ज्यादा सक्रिय नहीं हुआ करती थी इसलिए डकैतों के संघगठन पनप रहे थे।


इन 10 को धन दौलत का इतना मोह था कि यह डकैत किसी हद तक जाने को तैयार रहते थे। इन डकैतों ने सेकड़ों घरों को बर्बाद कर दिया था। सेकड़ों बच्चो को यतीम और सेकड़ों महिलाओ को इन्होने विधवा बना दिया था। ये डकैत अपनी दौलत की भूख के आगे इतने बेरहम हो गए थे कि इनको दौलत के आगे कुछ भी दिखाई नहीं देता था। इनके आगे चाहे बच्चा आ जाए या फिर कोई गर्भवती ये डकैत इन पर भी रहम नहीं दिखाते थे। इन्होने ने सेकड़ों घरों मे आग लगाकर हजारो लोगो का कत्लयाम किया था।


ये डकैत रात के अंधेरे मे गाँव मे घुसकर गरीबो को लूटा करते थे और उन गरीबो के साथ आत्याचार किया करते थे। ये इनका रोजाना का पैसा बन चुका था। ये 10 डकैत दौलत के नशे मे आदमखोर बन चुके थे। ये गरीबो का पैसा लूटकर अपनी शैतानी  भूख को मिटाते थे।

लेकिन दोस्तो पाप का घड़ा एक न एक दिन जरूर ही भरता और बाद मे फूटता भी है ऐसा ही इन 10 डकैतो के साथ भी होने जा रहा था। एक बार इन डकैतों का संघगठन एक गाँव की तरफ उस गाँव को लूटने के लिया रवाना हो जाता है उस समय रात का अंधेरा होता है और ये डकैत उस गाँव मे दाखिल हो जाते है लेकिन क्या देखते है कि इस गाँव मे दूर- दूर तक कोई नजर नहीं आता है केवल एक बुजुर्ग उस गाँव मे खाट पर बैठा हुआ दिखाई देता है। इन डकैतों को आश्चर्य होता है कि ऐसा हमने आज से पहले कभी नहीं देखा कि गाँव मे सिर्फ एक आदमी रहता है वो भी बुजुर्ग। ये सभी डकैत उस बुजुर्ग के पास पहुचे और पूझा की इस गाँव के लोग कहा गए है।

बुजुर्ग को तो पहले से ही पता था कि इस गाँव के लोग कहा गए है लेकिन यह बात उस बुजुर्ग ने उन डकैतो से छिपा ली ताकि उन सभी गाँव वालों की जान बच सके ताकि वह अपने आप को उन डकैतों से अपने बच्चे और परिवार को बचा सके।

वह बुजुर्ग काफी ज्यादा शातिर था और उसकी उम्र 85 साल थी। इस बुजुर्ग ने पहले से ही योजना बना ली थी कि इन डकैतों को ठिकाने कैसे लगाया जाए।

इस योजना के हिसाब से बुजुर्ग ने डकैतो के आने से पहले ही एक पहले सभी गाँव वालों को यह कहकर उस गाँव से भगा दिया था क्योकि उस बुजुर्ग को अंदाजा था कि कभी न कभी इस गाँव मे वह डकैत जरूर ही कदम रखेंगे। योजना के हिसाब से सभी गाँव के परिवार के लोगो को जंगल की और रवाना कर दिया था और अपनी जान की परवा किए बिना यह बुजुर्ग उन डकैतो को ठिकाना लगाना चाहता था।

उस बुजुर्ग ने एक ऐसी खतरनाक योजना बनाई थी कि उन डकैतो को उस योजना मे अपने जाल मे फसाना था और उन डकैतो को जड़ से खत्म करना था। बुजुर्ग की योजना मे था कि उस गाँव से 150 किलो मीटर दूर एक पहाड़ी थी उस पहाड़ी के नीचे एक गुफा थी जो बहुत ही ज्यादा खतरनाक थी। उस बुजुर्ग को पता था कि उस गुफा मे किसी का जाना बेहद ही खतरनाक हो सकता है क्योकि उस गुफा के अंदर 7 खूनी दरवाजे थे जहा पर एक दरवाजे मे एक खूंखार शैतान रहा करता था।

उस गाँव मे बैठे बुजुर्ग से उन डकैतों ने पूझा की इस गाँव के लोग कहा गए है।

बुजुर्ग ने जबाब दिया:- इस गाँव के लोग एक खजाने की तलाश मे गए है जहा पर बहुत सारा सोना, चाँदी, हीरे और मोती छिपे हुए है। बुजुर्ग ये भी कहा कि मे भी उस खजाने को प्राप्त करना चाहता था लेकिन मुझसे इतनी दूर चला नहीं जाएगा।

डकैतों ने उस बुजुर्ग की बातों को सुना और बाद मे बुजुर्ग से कहा क्या ये सही बात है तो बुजुर्ग ने कहा हाँ ये सही बात है तो डकैतो को उस बुजुर्ग की बात पर भरोषा हो गया था जब उनको लगा की बकाई मे वहा पर खजाना छिपा है तो उस बुजुर्ग को वही पर कत्ल कर देते है और सुबह होते ही वह डकैत अपनी मंजिल की और निकल पड़ते है। साथ मे खाने पीने का समान भी ले लेते है ताकि रास्ते मे कुछ खा सके क्योकि 150 किलो मीटर दूर वह पहाड़ी थी जो की वहा पहुचने के लिए दो से तीन तो लगता।

3 दिन के अंतराल मे ये 10 डकैत उस पहाड़ी तक पहुचे। 10 डकैत उस पहाड़ी तक तो आसानी से पहुच तो गए और उस गुफा को तलाशने लगे जहा पर खजाना पड़ा हुआ था। वह सभी डकैत अलग- अलग रस्तों से उस गुफा की तलाश करने लगे। बड़ी मेहनत करने के बाद इनको वह गुफा दिखाई दी जब यह गुफा इनको दिखाई दी तब इन्होने खुशी मे नृत्य करना शुरू कर दिया। अब ये डकैत सोचने लगे थे कि अब हमे ये खजाना मिल गया है और हम सबसे अमीर व्यक्ति बन जाएंगे।

नृत्य कर- कर उस गुफा के अंदर यह 10 डकैत घुस जाते है और उस गुफा के अंदर कुछ दूरी पर जाते है तो उस गुफा मे रात के अंधेरे के तरह नजारा दिखाई दे रहा था। तब इन्होने उस अंधेरे को दूर करने के लिए कुछ वस्तु को जलाकर कर उस गुफा मे प्रकाश किया। जब इस गुफा मे कुछ हद तक अंधेरा जा चुका था तब यह डकैत आगे की और बढ्ने लगे थे। कुछ दूरी पर जाकर इनको 7 दरवाजे दिखाई दिये और ये डकैत हैरान हो गए कि अब क्या किया जाए।

इन 10 डकैतों ने सबसे पहले इन दरवाजों अच्छे से देखा और धीरे- धीरे इन दरवाजो के पास पहुचे। इनको दरवाजो मे दिखा की सभी दरवाजों मे ताले लगे हुये थे। इन डकैतो को दौलत से इतना प्यार था कि इनसे कुछ समय तक रुका भी नहीं जा रहा था। इन्होने पहला दरवाजा का ताला पत्थर मार- मार के तोड़ा और अंदर जाकर देखा लेकिन उस दरवाजे के अंदर इनको कुछ नजर नहीं आया वल्कि वहा पर चिमकागड़े उल्टी लटकी हुई थी। इन्होने उस दरबाजे का अंदर का कमरा सारा तलाशा लेकिन इनको कुछ हाथ नहीं लग पाया।

ऐसे ही करके इन्होने 6 दरबाजे खोल लिए थे लेकिन इनको इन दरबाजों के अंदर भी कुछ नहीं मिला और ये सभी डकैत हार गए और कुछ देर आराम करने लगे। इन 6 दरबाजों को खोलने के लिए इनको 15 घंटे लगे। 15 घंटे बीतने के बाद ये 7 वा दरबाजा भी खोलने जा रहे थे। दिन मे ये सभी गुफा मे घुसे थे और 6 दरबाजों को खोलते- खोलते इनको रात हो गई थी। 7 वा दरबाजा खोलने ही जा रहे थे तब इनको उस दरबाजे के ताले मे कुछ अजीब चीज सी नजर आई। उस दरबाजे के ताले पर कुछ मंत्र तंत्र जैसी कुछ अजीब सा नजर आ रहा था।

इन 10 डकैतों ने उस चीज को नजर अंदाज कर दिया और वह 7 वा दरबाजा का ताला तोड़ने लगे। जैसे ही ताला टूटता है वैसे ही वह उस दरबाजे के अंदर चले जाते है क्योकि इन्हे खजाना पाने की बहुत जल्दी थी। जब अंदर देखते है तो अंदर कुछ भी नहीं दिखता लेकिन एक बहुत बड़ा बक्सा सा पड़ा हुआ दिखाई देता है। ये 10 डकैत वही पर रुक जाते है और आपस मे सलाह मशहूरा करने लगते है और आखिर मे निर्णय करते है इस बक्से के अंदर ही खजाना छिपा होगा अब इसे ही खोलना चाहिए। इन 10 आदमी मे से एक को कहा जाता की इस बक्से को खोलकर देखो ताकि इसमे खजाना छिपा हो तो एक डकैत उस बक्से को खोलने लगता है जब वह बक्सा खोल लेता है तो उसे एक मरा हुआ शैतान दिखाई पड़ता है जो उस बक्से मे सोया हुआ रहता है।

ये 10 के 10 डकैत उस शैतान को देखते है और वहा से जल्दी से भागने की योजना बनाने लगते है उन्हे एहसास हो गया था कि ये शैतान अभी सोया हुया है और कभी भी ये जाग सकता है। अगर ये शैतान जाग गया तो हमे कच्चा ही खा जाएगा ये बहुत तेज़ी से गुफा से बाहर निकलने की कोशिश करते है और आधे रास्ते तक ही पहुचते तब तक वह शैतान इनके सामने हाजिर हो जाता है। वह शैतान इतना भयानक दिखाता है कि कुछ डकैत इसको देखते ही बेहोश हो जाते है और कुछ डकैतों की पतलूम पीले हो जाती है।

ये डकैत भागने की कोशिश तो बहुत करते है लेकिन उस खतरनाक शैतान सामने भाग नहीं पाते है। वह शैतान आखिर मे सबको मार देता है और कच्चा ही खा जाता है जो इन डकैतों ने गरीबो के साथ किया था ऊपर वाले उससे भी बड़ा बदला लिया।

Wednesday, January 1, 2020

January 01, 2020

दिल्ली के एक गाँव के कुएं का भूत की कहानी

यहाँ घटना दिल्ली के एक गाँव के कुएं का भूत की है :- The incident here is of the ghost of a village well in Delhi.


यह घटना 1999 के आस पास की है। दिल्ली में रहनेवाले हमारे एक दूर के रिश्‍तेदार पहली बार हमारे गांव जगन्पुरा में अपने एक नजदीकी रिश्‍तेदार के घर पर आए। पर वहां उनका मन नहीं लगता था , रिश्‍तेदार अपने व्‍यवसाय में व्‍यस्‍त रहते और उनकी पत्‍नी अपने छोटे छोटे बच्‍चों में। वे वहां किससे और कितनी देर बातें करतें , उनके यहां जाने में जानबूझकर देर करते थे और हमारे यहां बैठकर बातें करते रहते थे । बडे गप्‍पी थे वो , अक्‍सर वे हमारे घर पहुंच जाते थे और घंटे दो घंटे गपशप करने के बाद खाना खाकर ही लौटते थे।


एक दिन शाम को पहुंचे , तो इधर उधर की बात होते होते भूत प्रेत पर जाकर रूक गयी , भूत प्रेत का नाम सुनते ही उन्‍होने अपनी शौर्यगाथाएं सुनानी शुरू की। फलाने जगह में भूत के भय से जाने से लोग डरते हैं , मैं वहां रातभर रहा , फलाने जगह पर ये किया , वो किया और हम सभी उनके हिम्‍मत के आगे नतमस्‍तक थे। मेरी मम्‍मी ने एक दो बार रात के समय इस तरह की बातें न करने की याद भी दिलायी , पर वो नहीं माने ‘नहीं , चाचीजी , भूत प्रेत कुछ होता ही नहीं है , वैसे ही मन का वहम् है ये’ और न जाने कहां कहां के ऐसे वैसे किस्‍से सुनाते ही रहे।

उस दिन खाते पीते कुछ अधिक ही देर हो गयी थी , रात के ग्‍यारह बज गए थे , गांव में काफी सन्‍नाटा हो जाता है। उस घर के छत से आवाज दे देकर बच्‍चे बार बार बुला रहे थे । सामने के रास्‍ते से जाने से कई मोड पड जाने से उनका घर हमारे घर से कुछ दूर पड जाता था , पर खेत से होकर एक शार्टकट रास्‍ता था । हमलोग अक्‍सर उसी रास्‍ते से जाते आते थे , उन्‍होने भी उस दिन उसी रास्‍ते से जाने का निश्‍चय किया। पीछे के दरवाजे से उन्‍हें भेजकर हमलोग दरवाजा बंद करके अंदर अपने अपने कामों में लग गए। अचानक मेरी छोटी बहन के दिमाग में क्‍या आया , छत पर जाकर देखने लगी कि वे उनके घर पहुंचे या नहीं ? अंधेरा काफी था , मेरी बहन को कुछ भी दिखाई नहीं दिया , वह छत से लौटने वाली ही थी कि उसे महसूस हुआ कि कोई दौडकर हमारे बगान में आया और सामने नीम के पेड के नीचे छुप गया।

*   मेरी बहन ने पूछा ‘कौन है ?‘

*   उनकी आवाज आयी ‘मैं हूं’

*   ‘आप चाचाजी के यहां गए नहीं ?’

‘*    खेत में कुएं के पास कोई बैठा हुआ है’

गांव में रात के अंधेरे में चोरों का ही आतंक रहता है , उनकी इस बात को सुनकर हमलोगों को चोर के होने का ही अंदेशा हुआ , जल्‍दी जल्‍दी पिछवाडे का दरवाजा खोला गया। पूछने पर उन्‍होने हमारे अंदेशे को गलत बताते हुए कहा कि वह आदमी नहीं , भूत प्रेत जैसा कुछ है , क्‍यूंकि कुएं के पास उसकी दो लाल लाल आंखे चमक रही हैं। तब जाकर हमलोगों को ध्‍यान आया कि कुएं के पास खेत में पानी पटानेवाला डीजल पंप रखा है और उसमें ही दो लाल बत्तियां जलती हैं। जब उन्‍हें यह बात बताया गया तो उन्‍होने एकदम से झेंपकर कहा ‘ओह ! हम तो उससे डर खा गए’ ।

 बेचारे कर भी क्‍या सकते थे , इस डर खाने की कहानी ने तुरंत बखानी गई उनकी निडरता की कहानियों के पोल को खोल दिया था। फिर थोडी ही देर बाद वे चले गए , और हमारे घर के माहौल की तो पूछिए मत , हमलोगों को तो बस हंसने का एक बहाना मिल गया था।

Monday, December 30, 2019

December 30, 2019

भानगढ़ का किला भारत की सबसे डरावनी जगहों में से एक है

आखिर किसलिए लोग भानगढ़ के किले मे जाने से डरते है । Why are people afraid to go to the fort of Bhangarh.




राजस्थान के जयपुर और अलवर के बीच पड़ने वाला भानगढ़ का किला भारत की सबसे डरावनी जगहों में से एक माभानगढ़ का किला भारत की सबसे डरावनी जगहों में से नी जाती है, इस जगह के बारे में लोगो का कहना है की रात के 12 बजे के बाद यहाँ पर भूतो का डेरा लगता है, और यहाँ पर कोई भी रात नहीं गुजार सकता क्योंकि जो भी यहाँ पर रात के वक्त रुकता है सुबह उसकी मौत हो जाती है, भानगढ़ के इस किले के उपर कई सारी टीवी सीरियल बन चुके हैं.



लोगो के मुताबिक 16वीं शताब्दी भानगढ़ में रहने वाला एक तांत्रिक जो की सिंघिया के नाम से जाना जाता था, उसको भानगढ़ की खूबसूरत राजकुमारी रत्नावती के साथ प्रेम हो गया था.


तांत्रिक किसी भी हालत में राजकुमारी को पाना चाहता था, पर वो कुछ नहीं कर सकता था, लेकिन एक दिन राजकुमारी की सहेली उनके लिए बाज़ार से केश-तेल लेने गयी जब वो तेल लेकर लौट रही थी तभी तांत्रिक ने उसमें काला-जादू कर दिया, ताकि राजकुमारी उसे लगाते ही भागी-भागी उसके पास आ जाये.


पर राजकुमारी को उसके टोटके के बारे में पता चल गया. राजकुमारी ने तेल ज़मीन पर गिरा दिया. कहते हैं तेल गिरते ही पत्थर के गोले में बदल गया और लुढकते हुए तांत्रिक की तरफ बढ़ा और उसे कुचल कर रख दिया. तांत्रिक इस बात से क्रोधित हो उठा उअर उसने मरते-मरते एक श्राप दिया कि भानगढ़ पूरा तबाह हो जाएगा और मरने वालों को मुक्ति नहीं मिलेगी….जल्द ही उसका श्राप सच साबित हुआ और भानगढ़ किला खण्डहरों में तब्दील हो गया.


आज भी लोगो का मानना है की यहाँ पर जो भी लोग मरे थे उन सबकी आत्मा ये यहाँ पर भटक रही है, और कई लोगो की यहाँ पर रात के वक्त मौत भी हो गयी है. जिसकी वजह से यहाँ पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने बोर्ड भी लगा रखा है की शाम होने के बाद और सुबह होने से पहले इस किले में प्रवेश वर्जित है.

Sunday, December 29, 2019

December 29, 2019

एक लड़की की भटकती आत्मा यहा घटना पोरबंदर की है

एक लड़की की भटकती आत्मा, यह घटना पोरबंदर की है। The wandering soul of a girl, this incident is of Porbandar.


  यह सत्य घटना जो सोनल नाम की एक लड़की की है :-



यह घटना पोरबंदर की है। यह सत्य घटना सोनल नाम की एक लड़की की है। सोनल एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी और पली बढ़ी। अपने स्कूल के दिनो में सोनल काफी होशियार छात्रा रही। घर में माता पिता की हर बात मानना और घर-परिवार के काम काज में हाथ बटाना सोनल का स्वभाव था।


जब सोनल 12वी कक्षा में थी तब एक दिन अपनी सहेली के साथ पोरबंदर के समंदर किनारे घूमने गयी, समंदर किनारे दोनों सहेलियाँ पानी में पैर भिगोने और बाते करने में मस्त थीं। तभी अचानक समंदर की और से तेज हवा का झोंका सोनल की और आया और पलक जपकते ही वह हवा का झोंका जैसे उसके शरीर से आर-पार हो कर गुज़र गया। इस घटना से सोनल बुरी तरह डर गई, क्योंकि सोनल को उस हवा के झोंके के साथ हु-बहू अपने जैसी दिखने वाली लड़की भी दिखी थी, जो सोनल के शरीर के साथ टकरा कर सोनल के शरीर से आर-पार निकल गयी थी। उस वांकये के बाद सोनल की ज़िंदगी ही बदल गयी।

खाते पीते, सोते जागते, दिन, रात, सुबह शाम, सोनल को वह लड़की नज़र आने लगी। अपने जैसी दिखने वाली लड़की को देख कर सोनल खूब घबरा जाती, रोने लगती, और कई बार डर के मारे बीमार भी पड़ जाती। परिवार ने सोनल की तकलीफ दूर करने के लिए लाख जतन किए, पूजापाठ, हवन, दान धर्म, और अन्य कई सारे इलाज किए। पर कोई मरहम सोनल के काम ना आसका।

हद्द तो तब हो गयी जब सोनल अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी। शहर के कॉलेज के प्रोफ़ेसोर ऐसे कॉमेंट पास करने लगे थे के यह तो उसकी हूबहू कॉपी है। और सोनल को देख कर ऐसे अचंभित होने लगते के जेसे पुराना पाप सामने आने पर कोई पापी अचंभित हो जाता हो।

ऐसा कहा जाता है के आज से 35-40 साल पहले उसी कॉलेज में एक लड़की पढ़ती थी। और वह अचानक गायब हो गयी थी। माना जाता है कि कॉलेज प्रशासन से जुड़े कुछ लोगों ने उस कड़की को अगवाह कर के उसका बलात्कार कर के उसे मार दिया था। और उसके शरीर के कुछ टुकड़े कॉलेज की जमीन में दफना दिये थे। और कुछ समंदर किनारे फेंक दिये थे।

उसी लड़की की आत्मा सोनल को दिखती रहती है। और अपने लिए इंसाफ चाहती है। सोनल आज भी अपने जीवन में कभी कभी उस लड़की की परछाई देखने का अनुभव करती हैं। पर अब सोनल ने अपने डर का सामना करना सीख लिया है। और इस बात को समझ लिया है, कि अगर हकीकत में ऐसी कोई दुखदाई घटना उस लड़की के साथ हुई होगी, तो समय आने पर उस राज से परदा उठेगा। और दोषियों को सजा मिलेगी।

Thursday, December 26, 2019

December 26, 2019

यहाँ राहुल के घर की सच्ची दिल दहलाने वाली घटना :-

यहाँ राहुल के घर की सच्ची दिल दहलाने वाली घटना - The real shocking incident of Rahul house here



ऐसी ही घटना घटी थी राहुल   के साथ जब वहाँ नया – नया घर में  शिफ्ट हुए थे यहाँ एक सच्ची घटना है



ये उस समय की बात है जब राहुल 10-वीं कक्षा में पढ़ता है और उसकी उम्र 16 साल की थी .
वह गरीब था वह हमेशा उदास रहता था। क्योकि बचपन में माँ – बाप गुजर गए थे उसी कारण वह उदास रहता था उसका घर छोटा और टूटा था. वह अपने घर में अकेले रहता था |


एक रात वह घर में टीo वीo देख रहा था उसको अचानक एक आवाज आया कोई उसका घर का दरवाजा कटखता रहा है उसने देखा बाहर जाकर देखा कोई वह नहीं था, फिर वह टीo वीo देखने लगा अचानक ''बिजली'' कट गई तब वह मोमबत्ती जला कर वह सो गया. 




दिन बीतता गया धीरे- धीरे वह बारा हो गया उसको सरकारी नोकरी लग गई. वह शहर में एक फ्लॅट खरीद लिया वह रेस्टुरेंट में खाना खाता था एक रात को वह रेस्टुरेंट से आ रहा था लगभग 10 बजे सुनसान रोड से उसको अचानक लगा की कोई मेरे पीछे से आ रहा है. तब वह भागते भागते अपने घर चल गया वह सोने गया तो उसको एक पायल की आवाज सुनाई दी। और आवाज बंद हो गई।



वहाँ उठ गया और देखने लगा अपने आस – पास में फिर से आवाज उसे सुनाई दी और फिर आवाज बंद हो गई उसको लगा की कोई सपना तो नहीं तब वहाँ वास रूम में गया लगभग 12 बज रहे थे वह सीसे में देखा की कोई पीछे है वहाँ बहुत दर गया |


कल  सुबह वहाँ तैयार होकर जाने लगा तब उसे रास्ते में एक संजय नामक एक आदमी मिला और उससे पीछा राहुल से
अरे भाई आप क्या इस फ्लॅट में रहते हो राहुल बोला हाँ, वह  संजय बोला की आपको इस फ्लॅट में कुछ महसूस हुआ, राहुल घबरा के बोला हाँ मुझे कल पायल की आवाज सुनाई दी और मुझे बहुत दर लग रहा था, आदमी बोला उस फ्लॅट में आजतक कोई नहीं जाता उस फ्लॅट में 6 आत्मा रहती है | 


आजतक उसमे कोई नहीं जाता है राहुल का होस उर गया राहुल बोला उस फ्लॅट में क्या हुआ था संजय बोला सन 1972 की बात है जब उस फ्लॅट में आग लगने से एक ही परिवार के लोग मर गए में उसी कारण से लोग उस फ्लॅट में जाने से डरते है, संजय बोला अब में चलता हुई। राहुल अब उस फ्लॅट को छोङकर जाने लगा.


राहुल अब बाहर कमाने लगा फिर उसका सादी हो गया वह सुख से जीने लगा।