जब वह कब्रिस्तान के भीतर चली गई फिर उसमे क्या हुआ :- What happened when she went inside the cemetery.
बहुत संक्षेप में एक कहानी बुर्के वाली दो औरतों की। कहानी की शुरुआत एक औरत से होती है जिसका पति बहुत बीमार था। दवा-दारु चल रही थी। लेकिन उसके पति के स्वास्थ्य में कोई लाभ न हुआ। तो बाबाओं के यहाँ चक्कर लगाना शुरू किया। एकदिन वह एक ऐसे आदमी से मिली जो अपने आप को काले इल्म और रूहानी ताकतों का मालिक बताता था।
उसने औरत से कहा- तु अगर अपनी मदद करने को खुद तैयार है तो मैं तेरी मदद कर सकता हूँ। उसने महिला को तीन रुई की बाती जैसी एक चीज दी और कहा- रात को कब्रिस्तान में जाना इसे जलाना और एक पुकारना कोई ना कोई तेरी मदद को जरूर आएगा।
वो कैसा होगा मैं बता नहीं सकता वो औरत हो या फिर मर्द हो, बहुत सुन्दर हो या बहुत भंयकर हो लेकिन तु डरना नही वो जो पूछे उसका जबाब देना तुझें मदद मिल जाएगी। औरत घर पहुची लेकिन पति को कुछ नहीं बताया। वह फैसला नहीं कर पा रही थी। कही वो जाल में तो नहीं फंस जाएगी, इस जमाने में कौन इस तरह की बात में विश्वास करता है। लेकिन रात होते ही उसने तय कर लिया की पति के लिए वह ये जोखिम भी उठाएगी। रात को वह एक झोले में सारा समान लेकर टार्च के साथ कब्रिस्तान के गेट पर पहुँच गई।
उसने अपने साथ अपने पति का पुराना रामपुरी चाकू भी रख लिया था क्योंकि उसने तय कर लिया था की स्थिति बदली तो या वो जान ले लेगी या जान दे देगी। गेट पर पहुँचकर उसकी हिम्मत जबाब देने लगी। तब उसे अपने पति का चेहरा याद आया।
वह कब्रिस्तान के भीतर चली गई, निर्धारित जगह पर तीनों बत्तीया जलाई फिर उस ना को पुकारने लगी। कुछ देर बाद
वहाँ दो बुर्के वाली औरते आई और कहा- क्या चाहिए तुझे????
औरत ने कहा- मेरे पति ठीक हो जाए
उधर से आवाज आई- तो जान चाहिए तुझे.........
जान के बदले क्या दे सकती है?????
औरत गंभीर हो गई और कठोर शब्दों में कहा-मैं अपनी जान दे सकती हूँ अपने पति की जान के बदले....
बुर्केवाली दोनों औरतों की हसी सुनसान कब्रिस्तान में गूंज उठी
उनमें से एक ने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा- ले ये ताबिज 21 दिनों तक के लिए अपने पति के गले में डाल देना और फिर निकाल देना..
और सुन लड़की हमारा काम लेना नही देना है।
औरतें फिर अंधेरे में गायब हो गई। औरत घर लौट आई ताबिज पति को बांध दिया। अब दवाओं का असर कहिए या ताबिज का कमाल उसका पति एक महीने में ठीक हो गया।
औरत माँ बनी, फिर सास बनी, फिर दादी बनी और अपने पोते-पोतियों के लिए उसकी ये कहानी..... एक जाति के रूप में संरक्षित हो गई।

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