उस वक़्त मेरे पास नोकिया का हैंडसेट मोबाइल हुआ करता था। जो हमेशा साइलेंट मोड़ पर ही रहता था।
At that time, I used to have a Nokia handset mobile. Who was always on silent turn.
बात आज से करीब छह साल पहले कि है। उस वक़्त मेरे पास नोकिया का हैंडसेट मोबाइल हुआ करता था। जो हमेशा साइलेंट मोड़ पर ही रहता था। क्योंकि उस वक़्त मैं बारहवीं में थी और सहेलियों से जीवन भरा था। हर वक़्त कोई न कोई सहेली का मिस्ड कॉल या कॉल आ ही जाता था। मेरे पिता नाराज़ हो जाते थे।
ऐसे ही एक दिन की बात है। मैं बस में बैठकर कॉलेज जा रही थी। और मेरा फ़ोन मेरे हाथ में ही था। तभी अचानक फ़ोन वाइब्रेट मोड़ पर बजने लगा। वाइब्रेशन मोड़ की मुझे आदत नहीं थी, इसलिए अचानक हुए इस हरकत से मैं घबरा गयी और फ़ोन छूटकर हाथ से नीचे गिर गया। और सिर्फ़ नीचे ही नहीं गिरा फ़ोन उछलकर बस से नीचे जा गिरा। क्योंकि मैं दरवाज़े के पास वाले सीट पर ही बैठी थी।
ख़ैर कंडक्टर जी अच्छे थे। उन्होंने जल्दी ही बस रुकवाई और मेरा फ़ोन जाकर उठा लाएं। भयानक एक्सीडेंट ने मेरे फ़ोन का बाल भी बांका नहीं किया था। वो बिल्कुल सुरक्षित था।
मेरे हाथ में फ़ोन के आते ही मैंने सबसे पहले उसे साइलेंट मोड़ पर किया। पता नहीं कैसे ये खुद ब खुद वाइब्रेट मोड़ पर चला गया था। उसके बाद कॉलेज पहुँचकर मैंने उस अनजान नंबर पे कॉल लगाया जिसका फ़ोन आने के दौरान ही फ़ोन मेरे हाथ से छूट गया था। बड़ा गन्दा सा कॉलर ट्यून लगा रखा था बन्दे ने जैसे "आप
बीती" भूतिया सीरियल शुरू होने से पहले कुछ डरावने धुन बजते है, बिल्कुल वैसा ही। काफ़ी देर तक रिंग जाने के बाद किसी ने फ़ोन उठाया। पर बोला कुछ नहीं। मैं हेलो हेलो करती रही पर उधर से कोई जवाब नहीं आया बस बैकग्राउंड में किसी के चीखने की, कभी हँसने की,और कभी रोने की आवाजे आती रही। एक पल के लिए तो मेरा भी दिल धक से रह गया कही ये किसी भूत बुत का नंबर तो नहीं। डरकर मैंने फ़ोन काट दिया। पर अब उधर से फ़ोन आने शुरू हो गए। मैं जब भी उठाती वहीं सब सुनाई देता कोई कुछ नहीं बोलता। मैं परेशान होकर फ़ोन काट देती।
कुछ दिनों बाद एक दिन जब मैं कॉलेज के कैंटीन में सहेलियों के साथ बैठी थी। तब फ़िर उस नंबर से कॉल आने लगा मैं बार बार कॉल डिसकनेक्ट करती पर बार बार फ़ोन आने लगता। तभी मुझे परेशान देखकर मेरी एक सहेली ने पूछा कौन परेशान कर रहा तुझे? मैंने मज़ाक मज़ाक में उस से कह दिया कि ये कोई भूत का नंबर है। तो वे सब सीरियस हो गयी और सभी ने मुझसे वो नंबर ले लिया। मुझे भला क्या आपत्ति हो सकती थी। वैसे भी बन्दे ने मुझे बार बार फ़ोन कर कर के परेशान ही कर रखा था। अब जब मेरी सहेलियां उसे तंग करेगी तब मुझे भी बहुत मज़ा आएगा।
मैंने गौर किया कि उस दिन के बाद से उस अनजान नंबर से कॉल आना काफ़ी हद तक कम हो गया था। पर कॉलेज के अंदर एक नई चीज शुरु हो चुकी थी। भूत के नंबर का आदान प्रदान करना। हर किसी के जुबान पर बस यही रहता था। कि "भूत का नंबर लेगी"? इस बात का इतना ज़्यादा फैलना इसलिए भी आसान हुआ क्योंकि उस नंबर का जो कॉलर ट्यून था वो भी भूतिया था। और कॉल उठाने के बाद जो बैकग्राउंड से तरह तरह की आवाज़ आती थी वो भी डरावना था। ले दे के वो जो कोई भी बन्दा था वो बुरी तरह फंस चुका था।
अब तो दीवारों पर भी पढ़ने को मिलता "भूत का नंबर 9356****" यकीन न हो तो कॉल लगाकर देख लेना"।
हद तो तब हो गयी जब एक दिन मेरी छोटी बहन उस नंबर को कागज़ में लिखकर ले आयी और मुझसे "बोली दीदी इस नंबर पे कॉल लगाओ न एक बार ये भूत का नंबर है"। उस दिन मैं हँसते हँसते लोट पोट हो गयी और घर में सबको बता दिया कि भूत का नंबर मैंने ही वायरल किया था। पर पापा ने बहुत डांट लगायी और ये भी कहा कि फ़ोन कर के उसे सॉरी कहूँ।
मुझे भी बेचारे पर अब तरस आने लगा। मैंने उस नंबर पर एक बार और कॉल लगाया। कई बार फ़ोन काटने के बाद आखिरकार उसने फ़ोन उठाया, तो मैंने हेलो बोले बग़ैर ही कहना शुरू कर दिया। "भूत महाशय आप जो भी है मैंने बस आपसे इतना कहने के लिए फ़ोन किया है कि, आप पर जो आजकल नयी मुशीबत आयी है न ये मेरी ही वजह से हुआ है।
मैंने ही आपका नंबर भूत के नंबर से फेमस कर दिया। क्योंकि आप बार बार मुझे कॉल करते थे, और कुछ बोलते तक नहीं थे। दूसरी बात ये है कि आपने जो अपना कॉलर ट्यून भूतों वाला लगाकर रखा है न, ये बदल दीजिये। और बैकग्राउंड में जो ये भूतिया आवाज़ आती है इसे भी बदलिए अगर आप इस मुशीबत से बाहर आना चाहते है तो । हो सके तो अपना सिम कार्ड ही बदल दीजिये"। इतना सुनने के बाद उसने फ़ोन काट दिया।
पर दस मिनट बाद उधर से दुबारा कॉल आया। इस बार कोई बैकग्राउंड आवाज़ नहीं थी। बन्दे ने अपनी आवाज़ से बोला "बेवकूफ लड़की तुमने मेरी जिंदगी को झंड कर रखा है। हर दिन मेरे पास 500 कॉल आते है और सभी यही पूछते हैं कि आप भूत बोल रहे है क्या? मैं बेचारा टी.वी. दुकान में काम करता हूँ। मेरे सामने मेरा खड़ूस मालिक बैठा रहता है इसलिए मैं फ़ोन में कुछ बोल भी नहीं पाता। और दुकान में ढेर सारे टी.वी. एक साथ चालू रहते है इसलिए बैकग्राउंड में वही सब आवाज़ जाती होगी।
मैंने दो महीने पहले ही नया फ़ोन खरीदा था नए सिम कार्ड में बैलेंस भी ज़्यादा था इसलिए अनजान नंबरो में कॉल लगा लगा कर अनजान लोगों की आवाज़ें सुनता था। बस कुछ बोल नहीं पाता था। उन्हीं में से एक तुम्हारा भी नंबर था। पर मुझे तुम्हारी आवाज़ बहुत अच्छी लगी थी, इसीलिए तुम्हें बार बार कॉल कर देता था। पर तुमने तो अच्छा मज़ा चखाया मुझे। अब जैसे बात फैलाई थी वैसे ही इसे बंद करवाओ। मैं अपना नंबर नहीं बदल सकता। ये कहकर उसने गुस्से से फ़ोन काट दिया।
मैं बहुत देर तक बेचारे की किस्मत पर हँसती रही। जितना हो सके मैंने सबको समझाया की ये भूत का नंबर नहीं है। पर एक बार जीभ से निकली बात कहा वापस आती है।
गुस्सा शांत होने के बाद उसने मुझे दुबारा कॉल किया। और कुछ दिनों बाद ही हमारी दोस्ती हो गयी। इस बात को छह साल गुज़र चुके थे। पर कल जब मैं अपने पति के साथ नाश्ता कर रही थी तभी मेरे पति के नंबर पर एक अनजान कॉल आया, और पति के फ़ोन उठाते ही उधर से डरते डरते किसी लड़की की आवाज़ आयी " ये भूत का नंबर है क्या? मुझे ये नंबर मुम्बई के लोकल ट्रेन के बाथरूम में लिखा मिला" पति का फ़ोन स्पीकर पे था। लड़की की बात सुनते ही हम दोनों एक साथ खिलखिलाकर हंस पड़े।
फ़िर हँसते हँसते मैंने उस लड़की को जवाब दिया जी बिल्कुल ये भूत का ही नंबर है, और मैं भूत की पत्नी भूतनी हूँ।।।।

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