यहाँ एक अनसुलझे रहस्य मे कहानी है जो एक लड़का के साथ हुआ :- Here's the story in an unresolved mystery that happened to a boy.
आज विद्यालय से छुटकर घर की ओर जा रहा था। मन थोडा़ सा उदास था। चिंता सता रही थी कि वेतन अभी
तक मिला नहीं है। महीना समाप्त होने आ गया है। आजकल दुकानदार ने भी उधारी देना बंद कर दिया है। चिंता से मन व्याकुल था। दोपहर का समय और चिलचिलाती धूप से माथा ठनक रहा था। घर अभी दो किलोमीटर दूर था। सूनसान सड़क पर कोई वाहन भी नहीं कि उसे हात दिखाकर रोक लूँ। कदम पर कदम बढ़ाऐ चला रहा हूँ। सूनिल भी आज विद्यालय नहीं आया क्योंकि किसी काम से प्रधानाचार्य ने उन्हें बाहर भेज दिया था। वरना बाते
कलते ही आधा रास्ता तय हो जाता । सूनसान सड्क पर मानो एक अजीब सा ही सन्नाटा पसरा हुआ है। अचानक एक ठंडी हवा झोका आया और बदन मे एक सूकून सा मिला। साथ साथ एक हलकी सी खुशबू भी छा गई। मानो ताजे फूलों की है। पर रास्ते के दोनो तरफ ही खूला मैदान जिस्मे कि नमक की खेती होती है। आस पास कोई
बगीचा भी नहीं पर खूशबू बडी ही मोहक थी। ऐसा लग रहा था मानो मेरे दाएँ तरफ से आ रही हो। मैने रुक कर अपनी दाएँ तरफ और पीछे की तरफ देखा। पर कोई भी नहीं था। पर एक ऐसा हलका अहसास हो रहा था जैसे कि कोई मेरे साथ साथ ही चल रहा हो। पर मैने इसे एक वैहम समझकर आगे बढ़ा। रास्ते मे एक कुत्ता दिखा जो अचानक ही मुझे देखकर भौंकने लगा। रोज तो यहीं से जाता हूँ पर कभी भौंका नहीं। आज इसे क्या हो गया है कि मुझे देखकर भौंके जा रहा है। मैने एक पत्थर उठाकर उसकी ओर फेंका उसे डराने के लिए। पर पत्थर बडी ही तेजी से उसे लगा और वह कुत्ता वहीं
उलट गया और दर्द के मारे कराहने लगा। मैने तो इतने धीमे से पत्थर फेंका था कि उसके करीब भी नहीं पहुंचता वो पत्थर। पर रह इतने जोर से कैसे लग गया। मै भागकर उसकी ओर बढा़। उसे देखा तो कुत्ता मुझे देखकर भयभीत होने लगा। उसने ऊठकर मुझ पर झपट्टा मारा पर मेरे करीब आने के पहले ही दूसरी ओर जा गिरा। मुझे लगा, इस कुत्ते के करीब जाना मेरे लिए ठिक नहीं। मैने वहाँ से दौड़ लगाई। अब सड़क पर जल्दी
जल्दी चलने लगा। पता नहीं आज का दिन कैसा है मेरे साथ यह अजीबोगरीब घटना घट रही है। कुछ ही दूर चलने पर मेरा घर आ गया। मम्मी ने मेरे आता ही कहा, पगार मिला या खाली हात आया है। मैने मुँह लटकाकर कहा नहीं मिला आज। पर शायद कल जरूर मिल जाएगा। मम्मी ने गुस्से से कहा, क्या फायदा ऐसे नौकरी का
जहाँ भूको मरना पड़े। स्कूल मे पढा़ने के बजाय कहीं मॉल मे झाडू पोछा भी करता तो पेट भर के रोटी नशीब होती। मैने कहा मम्मी ऐसा मत बोलो नौकरी अच्छी है सिरःफ पैसे कम हैं। जिस दिन अच्छे स्कूल मे नौकरी मिल जाएगी तो तकलीफ भी दूर हो जाएगी। मम्मी ने गुस्से से कहा, तो ठिक है जब तक अच्छा स्कूल नहीं मिल जाता
तब तक भूके पेट रहो । मैने कहा, क्यों घर मे कुछ नहीं है क्या? जा देख ले अगर मीला तो बना दुगीं। यह बोलकर मम्मी बडबडाते हुए बाहर चौखट पर जा बैठी। मैने रसोई घर मे जाकर देखा तो एक तरफ चावल की गोनी और डब्बे मे आटा भरा पड़ा है। टोकरी मे भरपूर सब्जी और फल रखें हुऐ है। मै हँसते हुए मम्मी के पास गया और.
पीछे से मम्मी को गले से लगाकर बोला,क्या मम्मी तू मुझे फंसा रही है घर मे तो करीब महीने भर का राशन है। मम्मी ने चिल्लाकर कहा, तेरी आँखे ही फूटी हुई है। मम्मी रशोईं घर मे गई कि मम्मी की मुँह से जैसे आवाज ही बंद हो गई। मम्मी ने बडे़ ही शांत भाव से कहा, यह राशन कहाँ से आया। अभी तो नहीं थे। मैने मम्मी से कहा, चिंता मत कर उधार लाई है तो ठिक है मै चुका दूगाँ पर अभी तो कुछ बना के खिला। मम्मी ने कहा, पर मैने यह राशन नहीं लाया। उधारी भी नहीं। राशन वाले के पास गई थी
पर उसने दिया नहीं। मैने कहा, पर तु गई थी ना इसलिए राशनवाला राशन छोड गया होगा। उसे तो पता ही है कि समय पर मै उसके पैसे दे देता हूँ। मम्मी अपने जिद्द पर थी पर मेरी भूक को देखकर रशोईं मे चली गई। मै बाहर आकर बैठा। पर वह मंद मंद फूलों की खुशबू अभी भी आ रही थी।

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