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Thursday, January 2, 2020

January 02, 2020

भूतिया रेलवे स्टेशन जब उसने देखा एक सीट पर भूत

यह घटना एक सबिता की है जब उन्होने  देखा ट्रेन मे एक भूत को :- 

This incident is of a sabita when he saw a ghost in the train.





मानस जी के बेटी सबिता, बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता था । मानस जी बेटी को देखने के लिए साल में एक दो बार जरूर बेंगलुरु जाते थे । वहां चार-पांच दिन रुक कर, फिर वापस आ जाते थे । उस दिन यशवंतपुर-पूरी गरीब रथ एक्सप्रेस से वह भुबनेश्वर वापस आ रहे थे । ए.सी. बोगियों में ज्यादा समय बिताने का आदत ना होते भी, बेटी हमेशा ए.सी. ट्रेन में टिकट बुक कर देता था । लगभग 30 घंटे का सफर । इतना समय ए.सी. में बिताना मानस जी के लिए बहुत मुश्किल होता था । क्योंकि बिना चादर ओढ़े ऐ.सी. में बैठा नहीं जाता । सोने का समय छोड़कर बाकी समय भी चादर ओढ़ना, यह उनको अच्छा नहीं लगता था । इसीलिए मानस जी हमेशा इधर उधर चलते फिरते रहते थे । कभी अपने सीट पर बैठकर भूत की कहानी पढ़ते थे, तो कभी दरवाजा के पास खड़ा होकर प्राकृतिक सौंदर्य को देख के खुश होते थे । ऐसे भी दक्षिण भारत का प्राकृतिक परिवेश बहुत सुन्दर है ।


ट्रेन की दोनों तरफ पहाड़, नदी, गांव, शहर आदि देखते देखते ट्रेन आंध्र प्रदेश का दुबड़ा स्टेशन में पहुंच गया । उस वक्त समय लगभग रात के 9:30 बज चुका था । मानस जी घर से लाये हुए डिनर भी ख़तम कर चुके थे । पास में बैठे सभी यात्री यों ने भी अपना-अपना डिनर ख़तम करके सोने की तैयारी में थे । मगर मानस जी को नींद नहीं आ रहा था । वह सोचते थे की; और आधा घंटा के बाद ट्रेन विशाखापट्टनम जंक्शन में पहुँच जाएगा । वहां से ट्रेन छूटने के बाद ही जाकर सोएंगे । ऐसे सोचते हुए ट्रेन दुबड़ा स्टेशन से विशाखापट्टनम की और रवाना हुआ ।


उस वक़्त मानस जी दरवाजे के पास खड़े हुए थे । अचानक उनको लगा, जैसे कोई उनके पीछे खड़ा हुआ है | मानस जी थोड़ा घबरा कर पीछे देखें; एक चाय वाला हाथ में एक चाय का बर्तन लेके खड़ा हुआ था । उसको देख के पता चलता था, जैसे कि वह कई दिनों से सोया नहीं है । दुबला पतला चेहरा और आंखें अंदर की ओर चला गया है । वह मानस जी के पास आया और दरवाजा से बाहर की ओर देखने लगा । मानस जी समझ गए की वह शायद अगले स्टेशन में उतरने वाला है । मानस जी ऐसा सोच कर उसको दरवाजा के पास जाने दिए । और खुद दूसरी तरफ का दरवाजा के पास खड़े हो गए । उस वक्त वहां कोई नहीं था । ए.सी. बोगी का दरवाजा भी बंद था । और लगभग सारे यात्रीओ ने सो चुके थे । आहिस्ता आहिस्ता ट्रेन की रफ्तार तेज होने लगा ।


अचानक दूसरे दरवाजे से एक चीख़ सुनाई दिया । मानस जी उस दरवाजे के तरफ देखे; वह चाय वाला वहां नहीं था । उनके सर चक्कर खा गया । दरवाजे के पास जाकर बाहर की ओर नजर घुमाने लगे, लेकिन रात के अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था । वह डर के कांपने लगे । क्या सचमुच वह चाय वाला ट्रेन से गिर गया? वह तुरंत बग्गी के अंदर जाकर उस चाय बाले को ढूंढने लगे । लेकिन वहां भी बह नहीं था । अब मानस जी के मन में बहुत सारे सवाल आने लगा । अगर वह चाये बाला गिर गया होगा, तो अभी तक जिंदा नहीं होगा । मानस जी सोचे की बह उनके बग्गी के पास सोये हुए लोगोको बुलाएँगे | लेकिन फिर सोचे; कौन एक अनजान चाय वाले का मदत करने केलिए आएगा? ऐसा सोच के बह चुप रहे | अब मानस जी के मन विचलित होने लगा ।


अब मानस जी को उस दरवाजे के पास जाने को हिम्मत नहीं था । उनके आंखों के सामने उस गरीब चाय बाले का जिंदगी चला गया । मानस जी बिल्कुल गुमसुम होकर बैठ गए । कुछ समय के बाद ट्रेन विशाखापट्टनम जंक्शन में पहुंच गया । कितने लोग ट्रैन के अंदर आये और कितने लोग बाहर गए | वह भी थोड़ा बाहर आकर घूमने फिरने लगे | लेकिन अंदर ही अंदर वह उस चाय बाले को ही ढूंढ रहे थे । मन ही मन सोच रहे थे; जो बह सोच रहे हैं, वो गलत हो जाये | ऐसा करिश्मा होजाये कि बह चाय वाला दूसरी किसी बग्गी से निकल आये ।


विशाखापट्टनम जंक्शन से ट्रेन छोड़ने का संकेत दिया | मानस जी प्लेटफार्म से अपने बैगी में चढ़े । लेकिन वह उस बात को किसी को बता नहीं पा रहे थे । आहिस्ता आहिस्ता ट्रेन प्लेटफार्म से रवाना होने लगा । ठीक उसी वक्त मानस जी देखें की प्लेटफार्म के एक आखिर बेंच पे वही चाय वाला बैठा है । पास में चाय का बर्तन रखा है । उसे देख के मानस जी के मुख मंडल में चमक आ गया, और वह खुशी से बोल उठे; “है भगबान तुम महान हो” | जितना जितना ट्रेन आगे बढ़ रहा था, उतना उतना मानस जी के नजर से वह चाय वाला का चेहरा रात के अँधेरे में छुप रहा था ।


मानस जी उसी चाय बाले को देख रहे थे | उसी समय एक गार्ड आकर बोला: “सर आप दरवाजा बंद कर दीजिए” मानस जी बोले, “ठीक है कर देंगे” उसने फिर बोलै; “तुरंत बंद कर करके अंदर जाइए” | उसके बाद मानस जी दरवाजा बंद कर दिए और हंसते हुए उस गार्ड को बोले; “आप इस सामान्य बात को लेकर इतना गुस्सा क्यों हो?” उस गार्ड ने बोला; “हम आपसे गुस्सा नहीं हो रहे हैं।” बात यह है कि एक चाय वाला ने इसी दरवाजे से गिरकर अपना जान गवा दिया था । अभी रात को वह चाय वाला सबको बड़ा परेशान कर रहा है । आजकल भूत बनकर किसी भी वक़्त आपको चाय देने आ सकता है ।


उस गार्ड के मुँह से इतना सुनकर मानस जी के बोलती बंद हो गई । कुछ बोलने को हिम्मत नहीं हो रहा था, कि उस चाय वाला को बह एक बार नहीं दो दो बार देख चुके हैं । तुरंत मानस जी अपना सीट पर जाकर सो गए । मगर नींद कहां आने बाला है? बार-बार वह चाय बाले का चेहरा मानस जी को दिखाई दे रहा था | तब से वह रात तो क्या दिन में भी दरवाजे के पास खड़े होने की हिम्मत नहीं करते